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केशरवानी समाज ने भरी हुंकार, अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग लेकर किया प्रदर्शन,कोयलांचल नगरी धनपुरी समेत जिले भर में प्रदर्शन कर की गई आवाज बुलंद

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शहडोल । केसरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित किए जाने की मांग को लेकर गुरुवार को जिले भर में केशरवानी समाज द्वारा विरोध प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें उल्लेखित करते हुए बताया गया कि काका कालेलकर समिति की रिपोर्ट एवं बी.पी. मंडल आयोग द्वारा प्रस्तुत अनुशंसा के आधार पर केशरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय में शामिल करने हेतु अधिसूचना जारी की जाए। ज्ञापन में यह भी उल्लेखित करते हुए बताया गया कि मध्यप्रदेश में “केसरवानी” जाति के लोग ” केसरवानी, केशरवानी, खरे, खरिया, केसरी, केशरी, गुप्ता, बानी, अढ़तिया इत्यादि उपनामों (सरनेम) से रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, कटनी, जबलपुर, दमोह, सागर इत्यादि जिलों में बहुसंख्यक रूप से एवं पन्ना, भोपाल, इन्दौर जिलों में भी सैकड़ों की तादाद में सपरिवार निवासरत है। मध्यप्रदेश में निवासरत “केसरवानी” जाति आर्थिक, शैक्षणिक, राजनीतिक एवं सामाजिक रूप से अन्य जातियों के समाज की तुलना में पिछड़ी हुई जाति है।

 

आयोग के आदेश के साथ अन्य राज्यो का दिया हवाला

 

सन् 1953 में राष्ट्रीय स्तर पर विकास की राष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर गैर अजा, अजजा जातियों कासर्वेक्षण “काका कालेलकर समिति द्वारा किया गया था। जिन्होने केसरवानी जाति को “पिछड़ी जाति” में माने थे। सन् 1979 में गठित बी.पी. मंडल आयोग ने भी अपने प्रतिवेदन के भाग-2 पृष्ठ 171 में “केसरवानी” जाति को “अन्य पिछड़ा वर्ग” में सम्मिलित किए जाने हेतु अनुशंसित किए है। उपरोक्त अनुशंसाओं को लागू किए जाने हेतु माननीय उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका “इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार में दिए गए निर्णय के अनुपालन में भारत सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय ने सभी प्रदेशों को अन्य अनुशंसित जातियों के साथ “केसरवानी जाति को भी आरक्षण प्रदान करने हेतु संकल्प संख्या 12011/68/93 बी.सी.सी.(सी.) दिनांक 10/09/1993 निर्गत किया था। उपरोक्त संकल्प पत्र के आधार पर ही बिहार राज्य सरकार द्वारा 1994 में एवं राज्य विभाजन के बाद झारखण्ड राज्य सरकार द्वारा 2012 में “केसरवानी जाति” को अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण प्रदान किया गया है।

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