सीएमपीएफ की जानकारी मामले में सीआईसी के निर्णय को भी प्रबंधन ने दिखाया ठेंगा तो मामला पहुंचा मप्र. हाईकोर्ट ( मामला SECL सोहागपुर क्षेत्र का )

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शहडोल/धनपुरी (Ravi tripathi)
देशभर में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू हुए भले ही डेढ़ दशक से ज्यादा हो गएं हैं लेकिन देश के अधिकांशतः सरकारी कार्यालयों ने इस कानून को अभी तक सहर्ष स्वीकार नहीं किया है, इसी तरह का एक मामला कोल इंडिया की सहायक मिनीरत्नम कंपनी एसईसीएल के सोहागपुर क्षेत्रीय कार्यालय से सामने आया है।
( यह है पूरा मामला )
ज्ञात हो कि एक आरटीआई आवेदक द्वारा 3 अप्रैल 2021 को एक आरटीआई आवेदन मे एसईसीएल सोहागपुर के सभी खदानों में कार्यरत ठेका मजदूरों का 31 मार्च 2015 से 31 मार्च 2021 के बीच सीएमपीएफ खाते में पैसे जमा करने वाले और पैसा जमा नहीं करने वाले ठेकेदारों की सूची और सीएमपीएफ की कटौती हेतु सोहागपुर क्षेत्र द्वारा जारी दिनांक 30.03.2021 के पत्र की प्रति की मांग की थी जिस पर लोकसूचना अधिकारी सोहागपुर एरिया द्वारा उक्त सूचना को तृतीय पक्ष की निजी सूचना मानते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदान करने से इन्कार कर दिया गया। जो द्वितीय अपील के तहत केंद्रीय सूचना आयोग दिल्ली पहुंचा तो आयोग ने स्पष्ट तौर पर कहा कि आवेदक द्वारा मांगी गई उक्त जानकारी किसी भी प्रकार से तृतीय पक्ष की निजी सूचना की श्रेणी में नहीं आती है और न ही सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष ने अपने दलील के समर्थन में कोई तर्क ही प्रस्तुत नही किया है।
यह कहते हुए आयोग ने सीपीआईओ सोहागपुर एरिया को यह निर्देश दिया कि प्रस्तुत आदेश की प्राप्ति से 30 दिनों के अंदर प्रार्थी के प्रस्तुत आवेदन के माध्यम से वांछित सूचना का पुनः परीक्षण करें और प्रार्थी को पुनरीक्षित सूचना प्रेषित करते हुए जन सूचना अधिकारी एक रिपोर्ट भी अगले दो सप्ताह के अंदर आयोग को प्रेषित करें, जिसके बाद सोहागपुर क्षेत्र अंतर्गत के सिर्फ राजेन्द्रा कोयला खदान के उपक्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक ने जानकारी उपलब्ध कराई बांकी अमलाई ओसीएम, धनपुरी ओसीएम, बंगवार, दामिनी, खैरहा और शारदा आदि कोयला खदानों से आवेदक को कोई जानकारी नहीं दी गई जिसके बाद मामला 14 फरवरी 2023 को मप्र. हाईकोर्ट पहुंचा जिस पर हाईकोर्ट ने 17 फरवरी 2023 को एसईसीएल प्रबंधन, मुख्य महाप्रबंधक सोहागपुर क्षेत्र, सीआईसी दिल्ली और लोक सूचना अधिकारी सोहागपुर क्षेत्र के नाम नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं।
( जनरल मजदूर रैंक के कर्मचारियों से करवातें है पत्राचार )
एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय लोक सूचना कार्यालय में एक साल के अंदर 3 लोक सूचना अधिकारी बदल दिए गएं, बीते वर्ष तक पदस्थ लोक सूचना अधिकारी, काफी समय से उस पद थें इसलिए आरटीआई आवेदकों को कम से कम यह सुविधा होती थी कि ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन देने पर वे समय से संबंधित विभाग को सूचना एकत्रित करने के लिए पत्र प्रेषित कर देते थें, समय-समय पर रिमाइंडर देते थें, भले सूचना मिले या न मिले, लेकिन उनके बाद प्रबंधन, दो सूचना अधिकारी बदल चुकी है, इसके बाद भी कार्यशैली लचर ही बनी हुई है। जानकारों का कहना है कि लोक सूचना विभाग में स्थाई तौर पर जानकार व्यक्ति की नियुक्ति होनी चाहिए उसे अंग्रेजी के साथ-साथ स्थानीय भाषा और हिंदी का ज्ञान होना चहिए, आरटीआई के कानूनी प्रक्रियाओं की समझ और तकनीकी समझ भी दुरूस्त होनी चाहिए ऐसा न हो कि मोबाइल से किसी कागज़ की पीडीएफ फाइल बना के भेजनी हो तो असिस्टेंट को ढुंडने लगें।
वहीं यह बात भी कुछ आवेदकों के माध्यम से सामने आई है कि एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के कार्यालय में जनरल मजदूर रैक के महिला कर्मचारी के माध्यम से उसके ही हस्ताक्षर सहित जरूरी दस्तावेजों का आवक-जावक कराया जाता है।
( प्रबंधन ने ही लस्त कर रखा है लोक सूचना विभाग को? )
सुविधा के तौर पर कम से कम दो ऐसे सूचना अधिकारियों को उक्त लोक सूचना कार्यालय में नियुक्त करना चहिए जो सम कक्षी हों जिससे एक के अवकाश में होने पर दूसरा अधिकारी आरटीआई संबंधित अपीलीय प्रावधानों को समझ कर आवेदकों से जवाब-तलब कर सकें।
( इनका कहना है )
जबलपुर सीएमपीएफ कार्यालय से ही उक्त जानकारी तीसरे पक्ष की बताई गई थी, इसलिए सूचना नहीं उपलब्ध कराई गई होगी।
प्रदीप जनार्दन बेदारकर
(लोक सूचना अधिकारी एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र)

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