नेशनल लोक अदालत में 2397 प्रकरणों का हुआ निराकरण, 3098 व्यक्ति हुए लाभांवित

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शहडोल। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार एवं माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेन्द्र प्रताप सिंह के मार्गदर्शन में शनिवार 11 फरवरी को वर्ष की प्रथम नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय शहडोल एवं सिविल न्यायालय ब्यौहारी, बुढ़ार तथा जयसिंहनगर में किया गया। नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेन्द्र प्रताप सिंह तथा जिला न्यायालय शहडोल के अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राकेश सिंह बघेल एवं न्यायाधीशगण तथा अधिवक्तागण द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में मां सरस्वती एवं महात्मा गांधी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर किया गया। इस अवसर पर विशेष न्यायाधीश बी.एल. प्रजापति, कुटुम्ब न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश सुश्री प्रतिभा साठवणे, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव जिला न्यायाधीश श्रीमती निशा विश्वकर्मा, प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश अमोद आर्य, द्वितीय अति. जिला न्यायाधीश संदीप सोनी, तृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश प्रिवेन्द्र कुमार सेन, श्रीमती प्रीति साल्वे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खण्ड, मधुसूदन जंघेल व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खण्ड, अंजय कुमार सिंह व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खण्ड, धीरज कुमार श्रम न्यायाधीश, सुश्री विजयश्री सूर्यवंशी व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड, ऋषभ डोनल सिंह व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड, प्रशिक्षु न्यायाधीशगण सुश्री अपेक्षा पाटीदार, सुश्री मानसी सिंगोदिया, सुश्री दीप्ती चैहान, अधिवक्ता संघ के सचिव सतीश पाठक, अमित शर्मा जिला विधिक सहायता अधिकारी, अधिवक्तासंघ के पदाधिकारीगण, पैनल अधिवक्तागण, पैरालीगल वालेंटियर, सामाजिक कार्यकर्तागण, न्यायालय के समस्त कर्मचारीगण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समस्त कर्मचारीगण उपस्थित रहे। जिला शहडोल में नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण हेतु जिला न्यायालय शहडोल एवं सिविल न्यायालय ब्योहारी, बुढ़ार तथा जयसिंहनगर तथा श्रम न्यायालय को सम्मिलित करते हुये कुल 24 न्यायिक खण्डपीठों का गठन किया गया था।
नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायालय परिसर में विद्युत विभाग, नगरपालिका, राष्ट्रीयकृत बैंक, बी.एस.एन.एल आदि विभागों के स्टाॅल लगाये गये।
इस नेशनल लोक अदालत में कुल 2397 प्रकरणों का निराकरण हुआ, इनमें से 1867 प्रकरण प्रीलिटिगेशन के थे जबकि अन्य 530 प्रकरण न्यायालय में लंबित थे। नेशनल लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों के कुल 315 प्रकरण लोक अदालत में रेफर किये गये थे जिसमे से 93 प्रकरणों में कुल मिलाकर 18 लाख 64 हजार रूपये का एवार्ड पारित किया गया। चेक बाउंस के 596 रैफर प्रकरणों में 43 प्रकरण निराकृत हुये तथा 34 लाख 91 हजार 862 रूपये की राशि के राजीनामा किये गये। न्यायालय में लंबित आपराधिक समझौता योग्य मामलों में 3489 प्रकरण रखे गये जिसमें से 334 का निराकरण राजीनामा के आधार पर हुआ। वैवाहिक प्रकरणों के 93 प्रकरण रखे गये जिसमें से 10 प्रकरण राजीनामा के आधार पर निराकृत हुये । सिविल, विद्युत आदि अन्य श्रेणी के 630 प्रकरण रखे गये जिनमें से 50 प्रकरण निराकृत हुये । कुल मिलाकर न्यायालय में लंबित 5123 राजीनामा योग्य प्रकरण नेशनल लोक अदालत में रखे गये जिसमें 530 प्रकरणों में राजीनामा हुआ एवं 2 करोड़ 66 लाख 20 हजार 278 रूपये की राशि एवार्ड एवं राजस्व प्राप्ति के रूप में प्रभावित हुई।
प्रीलिटिगेशन स्तर पर बैंक रिकवरी के 1375 प्रकरणों में से 175 प्रकरण निराकृत हुये तथा 70 लाख 45 हजार 200 रूपये की राशि बैंको में जमा हुई। बिजली के 2111 पूर्ववाद प्रकरणों में से 1065 प्रकरणों का निराकरण हुआ तथा 13 लाख 58 हजार 42 रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ। इसी तरह नगरपालिका के जलकर के 1745 प्रकरणों में से 409 प्रकरण निराकृत हुये और लगभग 8 लाख रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ तथा अन्य प्रकरणों में जिनमें दूरसंचार, संपत्तिकर आदि के प्रकरण शामिल हैं के 580 प्रकरणों में से 218 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण हुआ।
शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत में कुल 2397 प्रकरणों का निराकरण हुआ तथा 3098 व्यक्ति लाभांवित हुए।
नेशनल लोक अदालत में कई परिवारों में समझौता हुआ । ऐसे ही कुछ प्रकरणों में सविता द्विवेदी एवं हेमन्त द्विवेदी विगत 29 वर्षों से विवाह पश्चात् एक साथ रह रहे थे किन्तु दोनो के बीच 2022 में विवाद उत्पन्न हुआ जो न्यायालय तक आ गया। प्रधान जिला न्यायाधीश वीरेन्द्र प्रताप सिंह के मार्गदर्शन में कुटुम्ब न्यायालय की न्यायाधीश सुश्री प्रतिभा साठवणे एवं सुलहकर्ता सदस्य नारायण प्रसाद शुक्ला तथा श्रीमती श्वेता जायसवाल और पक्षकारों के अधिवक्तागण राजेश सोनी एवं कालिका प्रसाद गुप्ता के द्वारा पक्षकारों को समझाईश दी गई जिसके बाद पक्षकारों ने आपसी मनमुटाव दूर कर आपसी समझौते से प्रकरण को समाप्त कर लिया और खुशी-खुशी घर चले गए। इसी प्रकार प्रिया मांझी एवं दीपक सोनी, मीना पटेल एवं राजेन्द्र पटेल, सीता द्विवेदी एवं श्रीनिवास मिश्र, कौशल्याबाई एवं अशोक सिंह आदि कुछ ऐसे परिवार हैं जो नेशनल लोक अदालत में टूटने से बच गए । नेशनल लोक अदालत में मोटर दुर्घटना में आहत हुए कई व्यक्तियों को मुआवजा प्राप्त हुआ जिससे वे आर्थिक रूप से सक्षम हुए। नेशनल लोक अदालत में राजीनामा करने वाले पक्षकारों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वन विभाग के सौजन्य से निःशुल्क औषधीय एवं फलदार वृक्ष प्रदाय किये गये ।

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