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सड़क पर पड़े मरीज को धरती के भगवान ने दिया नया जीवन….मेडिकल कालेज में इलाज करने के बाद परिजनों के किया सुपुर्द 

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शहडोल। सादिक खान

शहडोल। चिकित्सक को धरती के भगवान की संज्ञा यूँ ही नही दी गयी बल्कि इनके ऐसे आचरण ने ही इन्हें धरती का भगवान कहने पर मजबूर कर दिया है । ऐसा ही एक मामला बिरसा मुंडा चिकित्सा महाविद्द्यालय का सामने आया है । जहाँ सड़क पर बेसुध घूम रहे एक घायल मानसिक रोगी का न सिर्फ मेडिकल कालेज में समुचित उपचार किया गया ।बल्कि उसके स्वस्थ्य होने के बाद उसके परिवार का पता कराकर परिजनों को यहां बुलाकर उक्त मरीज को परिजनों के सुपुर्द किया गया। दरअसल मेडिकल कॉलेज के मानसिक उपचार विभाग में एक मरीज़ को पुलिस द्वारा एक हफ़्ते पहले लाया गया । जहां पुलिस ने बताया कि यह बेसुध घायल हालत में रास्ते मे उन्हें मिला है। उसकी मानसिक स्थिति ठीक ना होने के कारण उसका नाम और पता नहीं चल पा रहा था । फिर भी मेडिकल कालेज में चिकित्सकों द्वारा मानवता की मिसाल पेश करते हुए उसका इलाज शुरू किया गया । समुचित देखभाल व उपचार के कारण एक हफ़्ते के बाद मरीज़ की मानसिक स्थिति ठीक होने लगी । मेडिकल कॉलेज में इनका उपचार मानसिक स्वास्थ्य विभाग और अस्थि रोग विभाग में हुआ जहां इनके पैर और हाथ की टूटी हुई हड्डियों का उपचार हुआ । जिसके बाद जब चिकित्सको ने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम किशन चंदेल बताया । साथ अपने घर का पता छत्तीसगढ़ का दुर्ग जिले का बताया। इलाज के बाद मेडिकल कालेज के डीन डाक्टर मिलिंद सिरालकर के मार्गदर्शन में चिकित्सकों द्वारा इनके घर वालों से संपर्क कर उनसे बातचीत की और उन्हें सारा घटना क्रम बताते हुए दुर्ग से मेडिकल कालेज शहडोल बुलाया गया ।जिसके बाद सड़क में बेसुध पड़े उक्त मरीज की शकुशल स्वस्थ्य हालत में घर वापसी हुई। परिजन भी मेडिकल कालेज के चिकित्सकों को एवम नर्सिंग ऑफिसर राकेश यादव सहित पूरी टीम को दुआए देते हुए खुशी खुशी मरीज को अपने घर ले गए ।

बेसुध घूमना ही लक्षण

चिकित्सको के अनुसार उक्त बीमारी से ग्रसित मटीज अक्सर ऐसे ही बेसुध होकर रास्ते में घूमते हुए पाये जाते हैं । इनमें असंगठित सिज़ोफ्रेनिया नामक बीमारी होती है। जिनमे ,कचरा बीनना, घर से भाग जाना और रास्तों पे भटकते रहना प्रमुख लक्षण दिखाई पड़ता है । इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है जिससे मरीज़ों का पुनर्वास किया जा सकता है।

 

राकेश की रही अहम भूमिका

नर्सिंग ऑफिसर राकेश यादव ने मरीज का पूरा ख्याल रखा साथ ही साथ अपनी टीम के साथ मिलकर उसके परिजनों का पता लगाया और थाने में संपर्क कर मरीज को उसके परिजनों से मिलाने का काम राकेश ने किया है।

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