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एफआईआर से साल भर पहले टीआई ने दर्ज किया आरोपी का बयान?????? एडीपीओ के घर मे हुई चोरी के बहुचर्चित मामले में न्यायालय ने सुनाया फैसला, आरोपी को किया दोषमुक्त

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सादिक खान

शहडोल। जिले का पुलिस महकमा इन दिनों सुर्खियों में है। गत दिवस जहां शहडोल पुलिस के एक जालसाज आरक्षक को ग्वालियर से आई एसटीएफ ने गिरफ्तार किया वही न्यायालय बुढ़ार ने चोरी के एक मामले में ऐसा निर्णय सुनाया जिसने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया? चोरी के जिस मामले में आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए न्यायालय ने उसे दोषमुक्त कर दिया । उस मामले की विवेचना स्वयं थाना प्रभारी ने की थी और उन्होंने एफआईआर दर्ज होने के साल भर पहले ही आरोपी का मेमोरेंडम बयान दर्ज कर लिया । सुनने में भले ही यह अजीब लग रहा हो लेकिन न्यायालय ने अपने फैसले में तत्कालीन थाना प्रभारी की कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े किए है। उक्त मामले में अभियुक्त की ओर से अधिवक्त नीतेश सिंह एवम अतीक मोहम्मद एवम अन्य सहयोगी अधिवक्ताओं द्वारा पैरवी की गई ।जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक लोक अभियोजक कुबेन्द्र शाह ठाकुर ,मनोज पनिका एवम निजी अधिकवक्ता जयकांत मिश्रा द्वारा पैरवी की गई थी।

 

क्या है सारा मामला 

 

दरअसल अनूपपुर जिले के कोतमा में पदस्थ तत्कालीन सहायक लोक अभियोजक (एडीपीओ) राकेश कुमार पांडेय ने अमलाई थाना में दिनाक 11 अप्रैल 2016 को जिले के अमलाई थाना में इस आशय की लिखित शिकायत दी कि थाना क्षेत्र के रूंगटा कालरी नई दफाई स्थित उनके आवास से आज दिनाक की दोपहर अज्ञात चोर द्वारा उनके घर की आलमारी व सुटकेश में रखे लाखो के जेवरात पार कर दिया गया है । चोरी गए जेवरातों में ढाई तोला सोने का मंगलसूत्र, ढाई तोला वजन का सोने का हार, सोने का 15 नग मनचली वजन एक तोला, सोने की चैन वजन दो तोला, दो सोने की अंगूठी,सोने की 6 नग चूड़ियां वजन लगभग पांच तोला, दो चांदी के करधन वजन 6 सौ ग्राम, चांदी की पायजेब लगभग 3 सौ ग्राम तथा 8 हजार रुपए नकद शामिल होना एडीपीओ द्वारा रिपोर्ट में दर्ज कराया गया ।

हालकि न्यायालय में ट्रायल के दौरान इन जेवरातों का कोई भी बिल पेश नही किया गया । जिस पर अमलाई थाने में प्रकरण क्रमांक 158/16 धारा 454, 380 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद विवेचना के दौरान अनुज उर्फ अनुपम पांडेय पिता संतोष पांडेय 25 वर्ष को इस मामले में पहले संदेही के रूप में थाने लाया गया बेस्ड में उसे उक्त मामले में आरोपी बनाते हुए दिनाक 22 मई 2016 को गिरफ्तार किया गया था ।

 

 

टीआई के स्वयं विवेचना पर कोर्ट ने उठाए सवाल

 

भले ही मामला चोरी का रहा हो लेकिन इसे सुलझाने में तत्कालीन अमलाई थाना प्रभारी अरुण पांडेय ने विशेष रुचि ली और इसकी विवेचना की जिम्मेदारी किसी मातहत प्रधान आरक्षक, सहायक उनिरीक्षक व उनिरीक्षक को नही सौंपी बल्कि स्वयं उठाई। इस बात को न्यायालय के फैसले में भी उल्लेख करते हुए उनसे पूछा कि आपने अपने अमलाई थाना प्रभारी के रूप में पदस्थापना दिनांक 28 अक्टूबर 2015 से दिनांक 30 जून 2018 तक के दौरान कितने चोरी के मामले लेख कर उनकी विवेचना की । जिसका जवाब तत्कालीन अमलाई थाना प्रभारी अरुण पांडेय नही दे सके । न्यायालय ने यह भी कहा कि आखिर थाने में डे -नाइट अफसर के होते हुए आपके द्वारा चोरी के मामले में प्रधान आरक्षक के रुप मे रिपोर्ट आखिर क्यों लेख की गई। इस पर भी निरीक्षक श्री पाण्डेय निरुत्तर रहे। वही न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि फरियादी एडीपीओ राकेश पांडेय द्वारा थाने में दिनांक 11 अप्रैल 2016 की दोपहर अपने घर मे चोरी होने का लिखित आवेदन दिया और एफआईआर भी दिनांक 11 अप्रैल 2016 को दर्ज की गई । जबकिं पुलिस ने आरोपी का जो मेमोरेंडम बयान दर्ज किया है उसमें यह उल्लेखित किया है कि उसने ( आरोपी) चोरी की वारदात को दिनाँक 11 अप्रैल 2015 को अंजाम देना कबूल किया है । न्यायालय ने आदेश में लिखा है कि ऐसी स्थिति में एडीपीओ श्री पांडेय के घर मे हुई दिनाक 14 अप्रैल 2016 को हुई चोरी के घटना में आरोपी अनुज उर्फ दिनाक अनुपम पांडेय निवासी इमली टोला बुढ़ार को आरोपी कैसे बनाया गया। न्यायालय द्वारा बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता नीतेश सिंह एवम अतीक मोहम्मद एडवोकेट के इन सारे तथ्यों को देखते हुए यहां कहा कि विवेचना अधिकारी निरीक्षक अरुण पांडेय की समस्त कार्यवाही संदेहास्पद प्रतीत हो रही है। न्यायालय ने इन सारे संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया ।

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