NGT के आदेश के बाद 6 विभागों के अधिकारी 19 अक्टूबर को SECL सोहागपुर क्षेत्र के निरीक्षण दौरे पर

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शहडोल (सादिक खान)
कोल इंडिया की अनुशांगिक कोयला खनन कंपनी एसईसीएल सोहागपुर के कोयला खदानों में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के मामले में लापरवाही बरते जाने की शिकायत बीते जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री कार्यालय की गई थी, जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को शिकायत हस्तांतरित किया जिसपर बीते 20 अप्रैल 2022 को संबंधित अवर सचिव आर.एस. बोरा ने डीजीएमएस, एसईसीएल, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट शहडोल और रेवेन्यू वोर्ड भोपाल मप्र. शासन को उक्त मामले में जांच के आदेश दिए थें जिसकी जांच में हीलाहवाली की गई जिसके बाद शिकायतकर्ता ने इस संबंध मे एनजीटी से जनहित याचिका स्वीकारने की गुजारिश की थी, जिसपर नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने डायरी फाइल कर के जांच के आदेश बीते महीने दिए थें जिसके तारतम्य में 19 अक्टूबर 2022 को 6 विभागों की जांच टीमें सोहागपुर क्षेत्र के दौरे पर रहेंगी।
{पीसीबी शहडोल की भूमिका संदिग्ध!}
वहीं इस जांच में क्षेत्रीय कार्यालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल (आरओ. पीसीबी) के कुछ जिम्मेदारों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है, क्यों कि याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे बीते करीब दो सप्ताह से काॅलरी प्रबंधन के संबंधित अधिकारिक सूत्रों से उक्त जांच दिनांक की जानकारी मिल रही थी, लेकिन याचिकाकर्ता को आधिकारिक जानकारी मात्र 35 घंटे पूर्व 17 अक्टूबर की शाम को दी गई आखिर क्यों? इसपर जानकारों का कहना है इस सूचना को देने की जिम्मेदारी आरओ. पीसीबी की थी इसलिए इनका एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के अधिकारियों के प्रति कैसा ‘मधुर संबंध’ है कि इन्होंने कंपनी के क्षेत्रीय अधिकारियों को पहले और याचिकाकर्ता को सबसे अंतिम मे जानकारी दिए हैं? लोगों का कहना है कि इनके ‘मधुर संबंध’ पहले से ही कोयलांचल में कई बार जगजाहिर हो चुके हैं, लेकिन इस बार तो हद के पार जाती हुई दिखाई दे रही है, जिसपर जांच हो तो कुछ क्षेत्रीय अधिकारी नप सकते हैं? यह शायद संसार की अकेली ऐसी प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय है जिसका प्रदूषण और प्रदूषण के कारकों पर कोई नियंत्रण ही नहीं!
{‘सूर्पनखा’ की नाक छिपाने मे एक हफ्ते से जुटा प्रबंधन!}

कोयलांचल की जनता का कहना है कि ये जांच टीम यदि औचक निरीक्षण करती तो असली सच्चाई सामने आती, पीसीबी के क्षेत्रीय कारिंदों के कथित कृपा से एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के अधिकारियों को शामिल पहले से सचेत (सूचित) कर दिया गया था जिससे दिन दोपहर शाम सड़कों में पानी छिड़कने के जगह पानी उड़ेला जा रहा है, कोयलांचल की सड़कों के कुछ विशालकाय गड्ढों में गिट्टी डाल के छिपाया जा रहा है, और आसपास के गांव खासकर बेम्हौरी-गरफंदिया में सीएसआर की रेबड़िया दिखाने की कोशिश की जा रही है, पर्यावरण वन एवं जलवायु के मामले में लगभग सैकड़ों गड़बड़िया हैं जिसे ढ़ापने की कोशिश की जा रही है, लेकिन की कुछ गड़बड़ियां ऐसी हैं जिसे काॅलरी प्रबंधन चाह कर भी नहीं सुधार पा रही है, यदि उक्त जांच टीम औचक तौर पर निरीक्षण करती तो जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले सत्य उजागर हो पातें!
{आगामी दिनांक के लिए टल भी सकती है जांच}
मालुम हुआ कि याचिकाकर्ता को देर से सूचना मिलने और कोई अत्यंत निजी कार्य पड़ जाने के कारण उसने एनजीटी से जांच दिनांक को आगामी किसी नजदीकी दिनांक के लिए टालने का आग्रह किया है, जिससे शाय़द उक्त जांच आगामी दिनांक तक टल भी सकती है!
{हिरण और गौवंश के मौत का मामला भी तो है,}
मालुम हो कि बीते 20 अप्रैल को अमलाई ओसीएम में एक हिरण की मौत वाहन से दुर्घटना ग्रस्त होने पर हुई थी, जिसे अज्ञात वाहनों से दुर्घटनाग्रस्त होना बताया जाकर रफादफा करने की कोशिश की गई है, और बीते महीने अमलाई और शारदा ओसीएम मिला के करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा गौवंश की मौत खदान क्षेत्र के सीमा के अंदर अज्ञात कारणों से हुई है। जिसके लिए भी जांच अपेक्षित है।


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