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बंगवार काॅलरी प्रबंधन ने मुंह देखकर बांटा नोटिस? (अवैध कब्जाधारियों से किराया बसूली की भी चर्चा)

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शहडोल/धनपुरी (रवि त्रिपाठी)

एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के बंगवार श्रमिक काॅलोनी में सैकड़ों अवैध कब्जाधारियों के मामले में कई चौंकाने वाले बातें निकल के सामने आ रही हैं,
बीते दिनों बंगवार काॅलरी प्रबंधन ने अवैध कब्जाधारियों को अपना-अपना अवैध कब्जा हटाने के संबंध में जो नोटिस बांटी है, वह नोटिस सभी अवैध कब्जाधारियों को नहीं बांटी गई यानी मुंह देखकर नोटिस बांटी गई है। अवैध कब्जाधारियों का मामला सामने आने के बाद कुछ श्रमिक नेता जो बंगवार काॅलोनी में एक क्वार्टर एलाट होने के बाद अंदर ही अंदर एक से ज्यादा आवासों में अवैध कब्जा जमाए बैठे हैं, वे अब अवैध कब्जाधारियों की सिफारिश के लिए उपक्षेत्रीय प्रबंधक और उपक्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक के दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं। ताज्जुब की बात नहीं है पान ठेलों में बैठ के मुफ्त की नौकरी हांक रहे श्रमिक नेताओं के कारण ही सोहागपुर क्षेत्र में उत्पादन के दिन नहीं बहुर रहे हैं यह जग जाहिर है!
वहीं सिर्फ बंगवार काॅलोनी की बात की जाए तो अवैध कब्जाधारियों के कारण काॅलरी प्रबंधन को हर महीने पानी, बिजली, आदि के खर्चे मिला के डेढ़ से 2 लाख रुपए का नुक़सान सहना पड़ रहा है। और इन्हीं अवैध कब्जाधारियों में से अधिकांश अवैध कब्जाधारी क्षेत्र में कोरेक्स, गांजा, नशीली गोलियों के थोक एवं फुटकर विक्रेता बने फिर रहे हैं सो अलग!

{गुर्गे बसूलते हैं सरकारी आवासों का किराया?}

बंगवार काॅलोनी सहित पूरे क्षेत्र में चर्चा है कि नोटिस बांटने में मुंह देखी इसलिए की गई है, जिन्हें नोटिस मिला है वै कह रहे हैं कि बंगवार माइंस से जुड़े कुछ लोग अवैध तौर पर रह रहे लोगों के से मासिक बसूली करते थें, और जिनसे मासिक बसूली मिलती थी, या कोई किसी श्रमिक नेता का खासमखास है तो उसे नोटिस नहीं दी गई और न हि वे बीते 7 अक्टूबर को बंगवार उपक्षेत्रीय कार्यालय बुलाए जाने पर उपस्थित हुए थें। यदि अवैध कब्जाधारियों से इस तरह की मासिक बसूली उपक्षेत्रीय प्रबंधक की जानकारी में हो रही है तो बात लज्जाजनक है या नहीं? यदि यह उनकी गैर जानकारी में हो रहा है तो भी ग़लत ही है।
वहीं लोगों का कहना है कि उक्त उगाही की चर्चा सही भी हो सकती है क्योंकि यहां सैकड़ों आवासों में अवैध कब्जा है, हर महीने लाखों रूपए का चूना एसईसीएल प्रबंधन को लग रहा है, और बंगवार प्रबंधन के अधिकारी बहाने बाज़ी और मुंहदिखाई की रस्में पूरी कर रहे हैं, आखिर क्यों?

{श्रमिक आवासों में बनाए गएं अवैध गौशाला}

जमीनी स्तर पर भौतिक निरीक्षण करने पर आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों से पूरी तरह मेल नहीं खा रहे हैं, अवैध कब्जाधारियों की लिस्ट बनाने मे भी मुंहदिखाई किए जाने के संकेत मिल रहे हैं क्यों कि अधिकारी अपने दफ्तर में बैठे-बैठे मोबाइल ने जिन जमीनी भृत्यों-कर्मचारियों को लिस्ट बनाने, नोटिस देने आदि भेजते हैं इन्हीं के माध्यम से किराया उगाही किए जाने की जन चर्चा है! ऐसे में कैसे और कब तक हटेगा अवैध कब्जा?
वहीं कुछ ने अपने साथ-साथ 4 से 5 मवेशियों को भी पाल रखा है, इनके आंकड़े कौन देगा? जांच रिपोर्ट कौन तैयार करेगा? वहीं अधिकारियों को एलाट हुए आवासों की लिस्ट भी मांगी गई थी जो कि आवेदक को अभी नहीं दी गई है।

{इनका कहना है}

अवैध कब्जाधारियों पर कार्रवाई की कार्यालयीन प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण पर है, हमने नोटिस तो सभी अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ निकाली थी, भृत्य स्तर के कर्मचारी ही नोटिस बांटने गये थें, मैं पता करवाता हूं किसे-किसे दी गई है।

विनय सिन्हा
(उपक्षेत्रीय प्रबंधक बंगवार, अमलाई दामिनी)

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