2 दिन भी बीएमओ नहीं रह पाए डॉक्टर पासवान,,,? 48 घंटे में ही सीएमएचओ ने अपने ही आदेश को निरस्त कर डॉ राजेश मिश्रा को बनाए रखा पद पर,,,!

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शहडोल।सादिक खान,सिहपुर में बीएमओ के पद को लेकर जोर आजमाइश और खींच दौर का दौर शुरू हो चुका है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बीएमओ डॉ राजेश मिश्रा को पद से हटाते हुए पूर्व में पदस्थ रहे डॉक्टर पासवान को प्रभार दिया, लेकिन यह आदेश 48 घंटे बाद ही निरस्त कर डॉक्टर मिश्रा को बीएमओ का पद सौंप दिया गया। उधर डॉक्टर पासवान प्रभार ले चुके थे, जो 1 दिन की पद पर नहीं रह पाए। यह पूरा मामला अब चर्चा का विषय बना हुआ है।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने कुछ घंटों के भीतर ही एक बड़े आदेश को निरस्त कर दिया है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिरकार किसके दबाव में यह आदेश बदला गया, जबकि आदेश होते ही डॉ पासवान ने सिंहपुर जाकर प्रभार भी ले लिया था।कुछ घंटों के भीतर ही सूत्र बताते हैं कि सीएमएचओ के पास लगातार नेताओं के फोन आने शुरू हो गए, जिसके बाद सीएमएचओ को आदेश निरस्त करना पड़ा।
यह है पूरा मामला
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरएस पांडेय द्वारा सिंहपुर के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश मिश्रा के स्थानांतरण संबंधी अपने ही आदेश को 48 घंटे में ही निरस्त कर दिया। हालांकि इसकी वजह प्रशासनिक वजह बताई जा रही है। गौरतलब है कि सीएमएचओ द्वारा 4 अक्टूबर को आदेश क्रमांक 6350 जारी करते हुए डॉ. मिश्रा को उनके पूर्व में आवंटित जिला क्षय अधिकारी का प्रभार यथावत रखते हुए सिंहपुर बीएमओ के प्रभार से हटाते हुए चिकित्सा अधिकारी डॉ. वाईके पासवान को बीएमओ का प्रभार सौंपने का आदेश जारी किया था। डॉ. मिश्रा को जिला चिकित्सालय में वापस लिए जाने संबंधी आदेश इसलिए जारी किया गया था क्योंकि सिविल सर्जन ने जिला चिकित्सालय कमी के कारण चिकित्सक की मांग की गई थी। आदेश जारी होने के दूसरे दिन 5 अक्टूबर को अवकाश रहा। तीसरे दिन 6 अक्टूबर को सीएमएचओ ने नया आदेश जारी कर 4 अक्टूबर को जारी आदेश क्रमांक 6350 को निरस्त कर दिया। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. आरएस पांडेय का कहना है कि प्रशासनिक कारणों से पहले जारी आदेश को निरस्त किया गया है।
यह भी चर्चा का विषय
सवाल यह उठता है कि प्रशासनिक कारणों से अगर आदेश को निरस्त करना ही था तो आदेश क्यों करना पड़ा। विश्व सूत्रों के अनुसार डॉ पासवान ने सिंहपुर जाकर अपना प्रभार ग्रहण भी कर लिया था। लेकिन बीएमओ के चेंबर का ताला खुलवाने के लिए डॉक्टर पासवान को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी लेकिन वह ताला नहीं खोला गया।

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