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साढ़े 12 करोड़ की सिंचाई परियोजना गरफंदिया से गायब! ( उपायों से ज्यादा अड़चनों पर अधिकारियों का ध्यान )

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Shahdol/Dhanpuri (Ravi tripathi)

वर्ष 2018 में सिंचाई विभाग के आंकड़े अनुसार शहडोल जिले में सिंचाई का रकबा 17 हजार 275 हैक्टेयर था लेकिन विभाग का लक्ष्य 2 लाख 11 हजार हैक्टेयर था, जिसके लिए शासन द्वारा जिले में सिंचाई का रकबा लगभग 20 हजार हैक्टेयर से अधिक बढ़ाने के लिए 20 सिंचाई परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई थी। सिंचाई विभाग द्वारा इन प्रस्तावित परियोजनाओं का सर्वे का कार्य भी पूरा किया गया था और डीपीआर तैयार करने के बाद शासन के पास भेजा गया था। इन प्रस्तावित सिंचाई परियोजनाओं को बीते वर्ष यानी 2020 तक हर हाल में पूरा करने का लक्ष्य शासन द्वारा दिया गया था। प्रस्तावित उक्त 20 सिंचाई परियोजनाओं में से एक सोहागपुर जनपद के बेम्हौरी पंचायत अंतर्गत गरफंदिया में भी 1252.28 लाख रुपए से एक बांध का निर्माण होना था जिसमें 360 हेक्टेयर जमीन को सिंचित बनाने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन यह बांध अपने निर्माण की शुरुआती प्रशासनिक प्रक्रियाओं में ही पस्त हो गया।

 

 

{बहानेंबाजी मे उलझा रहें विकास कार्यों को?}

 

ग्रामीणों की मानें तो विभाग के अधिकारी अक्सर उन ग्रामीण इलाकों में कार्य करने में प्राथमिकता और रुचि दिखाते हैं जहां लापरवाही से कार्य करने पर कोई ग्रामीण च से चूं न करे या गांव के आदिवासी या कम पढ़े लिखे लोग न बोल पाएं जिससे मनमाना कार्य करने में आसानी होती है। इसलिए गरफंदिया जैसे गांव में करोड़ों रुपए का यह बांध बना लेना अधिकारियों को टेढ़ी खीर लगा क्योंकि मनमानी करने पर तुरंत जिला प्रशासन और मीडिया को तलब कर दिया जाता इसीलिए शायद अधिकारियों ने खुद ही रुचि नही दिखाई जिससे गरफंदिया में 1252.28 लाख रुपए का प्रस्तावित यह बांध न बनने से 360 हैक्टेयर भूमि आज भी लापरवाह विद्युत आपूर्ति और मोटर पंप के भरोसे है।

 

 

{यहां भी अतिक्रमण बना अड़ंगा}

 

सनद रहे कि सोहागपुर जनपद और बुढ़ार तहसील अंतर्गत आने वाले बेम्हौरी पंचायत (ग्राम गरफंदिया) में नदी, तालाब, आवादी क्षेत्र की शासकीय जमीनें, गोचर भूमि एवं शासकीय भवनों की जमीनों में अधिकांशतः अवैध कब्जे हैं, अवैध कब्जा इस कदर हावी है कि यहां सभी शासकीय निर्माण कार्यों मे मुहर लिने से पहले अड़ंगा लगता है। शासन प्रशासन को चाहिए की बेम्हौरी हल्का की सभी शासकीय जमीनों के सीमांकन का कार्य जल्द से जल्द शुरू करे वरना ग्राम विकास के राह में ऐसे अड़ंगे लगते रहेंगे।

 

 

{खदानें लील रहीं पर्यावरण और जलवायु तंत्र}

 

जानकारों की मानें तो एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के बेम्हौरी, गरफंदिया, बंडी के आसपास लगे भूमिगत एवं खुली कोयला खदानों के मनमाने संचालन से इसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों का भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। बरसात के बाद बेम्हौरी के कई तालाब क्रिकेट का मैदान बन जाते हैं। कोयला खदानों के मनमाने संचालन से क्षेत्र का पर्यावरण और जलवायु तंत्र स्वाहा हो चुका है, इस संबंध में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के आदेश पर शहडोल कलेक्टर ने जांच टीम भी गठित की है जिससे निकट भविष्य में उक्त लापरवाहियों पर कोई बड़ी कार्रवाई की सुगबुगाहट मिल रही है।

 

 

(इनका कहना है)

 

बड़ा बांध बनना था दोनों ओर उंचाई भी चहिए थी जो कि सर्वेक्षण टीम को नहीं मिली। जिससे बांध का स्टीमेट निरीक्षण के बाद ही लौट गया था। बीते दिनों जिला पं. सीईओ ने गरफंदिया-बेम्हौरी के सभी पुराने जलाशयों का निरीक्षण किया है, बड़े स्तर पर तालाबों का जिर्णोद्धार कराने संबंधी स्टीमेट बनाया जा रहा है।

जितेन्द्र सिंह

(एसडीओ, जल संसाधन विभाग शहडोल)

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