वन निगम के उमरिया रेंज में निराई-गुड़ाई से लेकर वृक्षारोपण और खाद तक सब गोलमाल!

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Shahdol (Ravi tripathi)
राज्य वन विकास निगम लिमिटेड परियोजना मण्डल उमरिया के उमरिया रेंज से नित नये रंग-बिरंगे मामले चर्चा में आ रहे हैं,
दो स्टार रैंक धारी रिटायरमेंट के कगार मे पहुंचे अधिकारियों को रेंजर का प्रभार देकर मलाईदार रेंज या नर्सरी सम्हालने के लिए दे दिया जाता है, जबकि यह न ही उस रैंक मे फिट हैं और न हि उनकी योग्यता तय मानको में फिट होती! उमरिया मण्डल के उमरिया रेंज में ऐसा करीब एक दशक से चल रहा है, लोगों की मानें तो यहां वृक्षारोपण से लेकर उनके देखभाल और खाद आदि के मामले तक में जमकर गोलमाल किया जाता है, कहा जाता है कि खाद खरीदी के मामले में 9 से 10 लाख तक के मनमाने बिल लगाकर शासकीय राशि की रेबड़िया बांटी जाती हैं। सीएसआर मद से हैंडपंप खनन में भी लाखों का गड्डमड्ड किए जाने की सूचना मिली है जिसका जबाव देने और निष्पक्ष सोशल ऑडिट या जांच के नाम कर संबंधित रेंजर के ‘कंठ सूख रहे हैं!
सूत्रों की मानें तो इन्ही सब मामलों में कुछ पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने शहडोल संभाग के दौरे पर आए डॉ. कुंवर विजय शाह राज्य वन मंत्री मप्र. शासन, को एक शिकायत पत्र देने वाले हैं!
{कलेक्टर ने फटकार लगाई थी फिर भी आदत न बदली}
ज्ञात हुआ कि उक्त वन निगम मण्डल के उमरिया रेंज का कार्यभार देख रहे रेंजर द्वारा मानपुर से खाद खरीदी में गड़बड़ी के संबंध में उमरिया कलेक्टर से किसी ने शिकायत की थी जिसपर कलेक्टर ने उमरिया रेंज के रेंजर को जम कर डांट-फटकार लगाई थी, यानी सरकारी खाद बेचने की सूचना जिलाधीश तक पहुंच गई इसके बाद भी हरकतें जस की तस हैं!
{निराई-गुड़ाई में इस तरह होता है गोलमाल!}
प्रत्यक्ष दर्शियों से और पूर्व में मजदूर के तौर पर काम कर चुके लोगों से चर्चा के दौरान मालुम हुआ कि वृक्षारोपण के दौरान स्टीमेट से अलग कम गहराई और चौड़ाई के गड्ढे खोदकर वृक्षारोपण उमरिया रेंज के कई ‘रोपण क्षेत्रों’ मे किया गया है। साथ ही निराई-गुड़ाई के नाम से फंड आहरित कर के कागज़ों में काम दिखा दिया जाता है, जुलाई के अंतिम सप्ताह से लेकर अगस्त के दूसरे सप्ताह तक फर्स्ट-सेकेण्ड बिडिंग के कार्य में जमकर मनमानी की जाती है, कुछ बीट अंतर्गत गोल बिडिंग नहीं कराया गया है! खाद को जहां-तहां बेंच कर खाली बोरियां सरकारी खाते पर जमा कर दिया जाता है!
कुछ मजदूरों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि उन्हें तय भुगतान दर से कम दर की मजदूरी का भुगतान किया जाता है, कुछ मजदूरों ने यह भी बताता कि मजदूरों से घर के कुत्तों की देखभाल कराते हैं, और अपनी मंहगी-मंहगी गाड़ियां धूलवाते हैं! यदि यह सही है तो जांच के कई बिन्दु निकल के सामने आते हैं, जो कि विभागीय पड़ताल से ही स्पष्ट हो सकते हैं!
{1000 के जगह 5 से 6 सौ पौधे लगाने का खेल अबतक?}
चर्चा है कि राज्य वन विकास निगम लिमिटेड परियोजना मण्डल उमरिया के उमरिया रेंज में बीते कई वर्षों से इस आशय के गोलमाल चल रहे हैं कि 1000 पौधों के रोपण का स्टीमेट बनाकर बकायदा फंड निकाला जाता है और भौतिक रूप 5 से 6 सौ पौधों का रोपण कर के बंदरबांट कर लिया जाता है, कहने को पौधों की गिनती भी होती होगी लेकिन सरकारी महकमों में एक कहावत है कि ‘जब गड़बड़ी ही करनी है तो किसी भी स्तर तक उतर के किया जा सकता है।

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