शहडोल से अमरकंटक मार्ग मे ‘किरर’ का बेहतर विकल्प हो सकता है धनपुरी से गरफंदिया, धनौरा होते हुए लेढ़रा तक का मार्ग

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शहडोल/धनपुरी (रवि त्रिपाठी)
शहडोल से अमरकंटक मार्ग स्टेट हाइवे क्रमांक 9ए जो आए दिन बाधित होते रहती है, स्थानीय और बाहरी राहगीरों के लिए किरर घाट हो के ही अमरकंटक एक मात्र नज़दीकी रास्ता होने के कारण दशकों से लोग इसी मार्ग का उपयोग करते रहे हैं, लेकिन बीते वर्षों से किरर के घाट लगातार टूट के गिर रहे हैं जिससे महीनों-महीनों तक मार्ग बाधित रहता है, करोड़ों -करोड़ रुपए लगाकर सुधारा जाता है लेकिन एक ही समस्या हर वर्ष हो रही है, यक़ीनन आगे भी इस तरह की समस्या आनी ही है, चाहे कितना भी बना लिया जाए। लेकिन किरर मार्ग की जगह एक बेहतर वैकल्पिक, सुगम और कम दूरी वाला मार्ग बनाया जाए तो एक बड़ी समस्या से निजात पाया जा सकता है, जिसपर शासन के साथ-साथ एक बड़े स्तर पर प्रशासनिक पहल है तभी यह नया मार्ग बन पाएगा।
{इस तरह समझिए किरर के वैकल्पिक मार्ग को}
बताया गया कि धनपुरी से बंगवार होते हुए बेम्हौरी या देवहरा से सीधे पटनाकला होते हुए बेम्हौरी-गरफंदिया होके सड़क को तुम्मीवर, धनौरा, तुर्री के दलान टोला होते हुए बिलाई खेरवा, पड़री होते हुए लेढ़रा तक लाकर फिर से स्टेट हाइवे 9ए में मिला दिया जाए तो, इस मार्ग में किरर पूरी तरह से अलग पड़ जाएगी यानी मुख्य समस्या ही खत्म। इस मार्ग में किरर की तरह एकमुश्त खतरनाक खड़ी चढ़ाई नहीं है, वर्तमान में उक्त मार्ग में कहीं पीएमजीएसवाय तो कहीं पगडंडी मार्ग है जिससे बरसात के अलावा पूरे साल दोपहिया वाहन और ट्रैक्टर आदि आवागमन करते हैं। यानी दर्जनों का गांव ग्रामीण भी इस मार्ग से पूरी तरह सहमत हैं, ज़रूरत है तो सिर्फ सर्वे आदि कि।
{धनपुरी के बाद पुराने मार्ग में भी बदलाव संभावित है}
धनपुरी वेलकम गेट, डोंगरिया, अमलाई ओसीएम होते हुए धनपुरी ओसीएम गेट तक आने वाले मार्ग के नीचे कोयले का भंडार मिलने के कारण यह मार्ग परिवर्तित कर के बंगवार-बेम्हौरी की तरफ से पुराने मार्ग में डायवर्ट करने का प्रयोजन एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र और प्रशासन के लोग बना रहे हैं, ऐसा आधिकारिक सूत्रों का कहना है, जिसके लिए करीब 17 से 18 करोड़ का स्टीमेट भी रखा गया है। यदि उक्त पूरा रोड़ मैप हूबहू जमीन पर उतरता है तो क्षेत्र के दर्जन भर ग्रामीण क्षेत्र स्टेट हाइवे से जुड़ जायेंगे, जिनके सड़क के साथ-साथ आवागमन, सुगम परिवहन आदि की समस्या समाप्त हो जाएगी। नजदीक के सफर के लिए जो घुमावदार खतरनाक रास्ता तय करना पड़ रहा वह नहीं करना पड़ेगा। किरर के मरम्मत के नाम कर शासन के लाखों-लाख रुपए जो बर्बाद हो रहे हैं वह भी बच जाएंगे। जानकारों का कहना है कि ऐसा करना शहडोल संभाग के प्रशासनिक अधिकारियों की विभागीय दूरदर्शिता का प्रमाण सिद्ध हो सकता है।

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