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अमरकंटक पहुंचने के पहले धरहरकला में स्वयंभू गणेश महाराज के दर्शन के बाद ही मिलता है माँ नर्मदा के पूजन का फल

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शहडोल/धनपुरी (रवि त्रिपाठी)

अनूपपुर के पुष्पराजगढ़ तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर और राजेंद्रग्राम से 5 किलामीटर स्टेट हाइवे क्र. 9ए अमरकंटक मार्ग पर स्थित ग्राम धरहर कला के घने जंगल के बीच स्थापित कल्चुरी कालीन दक्षिणमुखी श्रीगणेश प्रतिमा वर्षों से लोगों के आस्था का केंद्र है। कहते हैं कि श्रीगणेश की यह प्रतिमा स्वयंभू है जो कि प्रतिवर्ष चावल के एक दाने को बराबर अपना आकार बढ़ा लेती है।

गणेश उत्सव में यहां पूजा अर्चना करने प्रतिदिन भक्त पहुंच रहे हैं। यहां गणेश जी की पूजा अराधना करने आने वाले भक्त कभी निराश नहीं हुए हैं। यह जिले का एक मात्र गणेश मंदिर है जो लोगों के आस्था का केन्द्र है।

 

{गौरी कुण्ड में कभी नहीं रुकता जल श्रोत}

धरहर गणेश मंदिर प्रांगण के पूर्व की तरफ गौरी कुण्ड है जहां वर्ष के 12 महीने शीतल और मीठे जल का श्रोत कभी नहीं रुकता। गौरी कुंड के समीप ही शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित है।

गौरी कुण्ड के ही पवित्र जल से गौरी नंदन के सभी पूजन कार्य किए जाते हैं, पुरातत्व विभाग अब धरहर के इस धरोहर को बचाने में अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए मंदिर को भव्य बनाने का प्रयास कर रही है, बीते अक्टूबर 2021 को वर्तमान शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा जब धरहर आएं थें तो यहां का प्राकृतिक वातावरण, पुरातत्व और आस्था की धरोहर ‘धरहर’ को देखकर आश्चर्यचकित थें, उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कई घंटे धरोहर में बिताएं।

 

{बसंतोत्सव पर लगता है मेला}

धरहर में प्रतिवर्ष बसंत पंचमी में मेला लगता है जो कि क्षेत्रीय ग्रामीणों के आस्था और उत्सवधर्मिता का केन्द्र है। यहां मनोरम हरियाली और पक्षियों के मधुर कलरव वाला वातावरण रहता है। नैसर्गिक सौन्दर्य देख यहां आने वाला अभिभूत हो जाता है। अमरकंटक जाने वाले लोग इस मंदिर की जानकारी होने पर मुख्य रूप से दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि गौरी नंदन गणेश जी के दरबार से कभी भी लोगों को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ा है।

 

{खुले आसमान के नीचे मिली थी मूर्ती}

यहां स्थापित गणेश प्रतिमा हजारों साल पुरानी बताई जाती है। पूर्व में यह मूर्ति यहां के जंगल में खुले आसमान के नीचे स्थापित थी, फिर गांव के लोगों और भक्तों ने मिलकर मूर्ति के सुरक्षा के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के आस-पास कल्चुरी कालीन शंकर, ब्रम्हा, विष्णु जी की प्रचीन मूर्तियां भी स्थापित हैं।

 

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