SECL सोहागपुर क्षेत्र के लिए 2 करोड़ की लागत से 5 मिस्ट मशीन का लोकार्पण

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शहडोल/धनपुरी (रवि त्रिपाठी)
साउथ ईस्टर्न कोल्फ़ील्ड्स लिमिटेड के सोहागपुर क्षेत्र के द्वारा प्रदूषण रहित कोयला उत्पादन और परिवहन को मद्देनजर रखते हुए कोयलांचल के मुख्य सड़कों के साथ-साथ खनन क्षेत्र में प्रदूषण के रोकथाम हेतु 5 चलित जल सिंचाई ट्रक ख़रीदे हैं, जिनकी लागत लगभग 2 करोड़ है। जिसका लोकार्पण बीते 30 अगस्त को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा द्वारा मुख्य महाप्रबंधक शंकर नागाचारी, महाप्रबंधक (संचालन) पी श्रीकृष्णा की उपस्थिति में हरीझंडी दिखाकर लोकार्पण किया।
कार्यक्रम की शुरुवात जीएम शंकर नागाचारी द्वारा संजीव मेहरा का पुष्प गुच्छ से स्वागत कर किया गया। तदोपरांत नोडल अधिकारी पर्यावरण पंकज गौतम द्वारा इन मशीनों को खरीदने का उद्देश्य समाज एवं पर्यावरण के हित में उनकी उपयोगिता एवं खदानों में उनके संचालन की जानकारी दी गई। उसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा, जीएम शंकर नागाचारी एवं पी. श्रीकृष्णा द्वारा सोहागपुर क्षेत्र के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारियों की उपस्तिथि में हरी झंडी दिखा कर सभी मशीनों को अपनी-अपनी यूनिट की ओर रवाना किया गया।
{कहां -कहां और कैसे उपयोग की जा सकेगी उक्त मशीनें}

सोहागपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी पंकज गौतम ने जानकारी देते हुए बताया कि यह 5 मशीनें मुख्यतः बंगवार भूमिगत खदान, शारदा खुली खदान, राजेंद्रा भूमिगत खदान, खैराहा भूमिगत खदान, दामनी भूमिगत खदान, एवं बुढ़ार रेलवे साइडिंग में उपयोग की जाएगी। इसके साथ ही साथ इन मशीनों के इस्तेमाल से खदानों से लगे ग्रामीण क्षेत्रो को भी इसका लाभ होगा।
इन मशीनो में 5 प्रकार के मुख्य फंक्शन हैं जिनसे रोड पर जल सिंचाई, वायु में उपस्तिथ धुल के कणों की सफाई, आग बुझाने हेतु जल सिंचाई आदि शामिल है इस मशीन के टैंक की क्षमता 12000 लीटर की है तथा इसमें आग को बुझाने के लिए भी अलग से पाइप एवं दूर तक पानी फेंकने वाले नोज़ल का प्रावधान है जिससे खदानों के साथ-साथ रहवासी क्षेत्रों के लोगो को भी इससे लाभ मिलेगा।
तथा इसे जरुरत पड़ने पर फायर टेंडर के जैसे भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इसमें कोयला स्टॉक यार्ड में महीन जल कणों के द्वारा कोयला डस्ट नियंत्रण के लिए एक फाॅगिंग मशीन लगाई गई है जिससे हवा में उड़ते हुए धूल के कणों को भी जल की छोटी बूंदों के द्वारा गीला कर नियंत्रित किया जा सकेगा, साथ ही इसमें जल का उपयोग भी परंपरागत इस्तेमाल की जाने वाली विधियों से बहुत कम तथा बेहतर उपयोग होगा|
{क्षेत्रीय अधिकारी ने प्रोत्साहित किया}

मालुम हो कि पर्यावरण एवं जलवायु के संबंध में सोहागपुर क्षेत्र की खदानों से लगातार चिंताजनक खबरें या शिकायतें दिल्ली और राष्ट्रीय हरित अधिकरण तक का सफर कर रही थीं जिसके बाद से इस तरह के नये पहल क्षेत्र के पर्यावरण के लिए ‘ग्रीन सिग्नल’ हैं। एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के इन कदमों की क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा ने सराहना की एवं बधाई दी साथ ही भविष्य में इसी प्रकार के कार्यों को निरंतर जरी रखने के लिए प्रोत्साहित भी किया।

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