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बाघ के बाद आ धमके भालू, कालरी प्रबंधन ने कर्मचारियो के लिये जारी की एडवाईंजरी…..

 


शहडोल। सादिक खान 

शहडोल। जिले में बाघ के साथ भालूओं का मूवमेंट देखने को मिला है। बीते दिनों अंतरा के पास एक ग्रामीण को मौत के घाट उतारने वाले बाघ का मूवमेंट का पता लगाने में वन अमला जुटा हुआ ही था कि अचानक जैतपुर वनपरिक्षेत्र के ग्राम देवरी में भालू आ धमके। जिसके बाद ग्रामीण और अधिक भयभीत हो गए हैँ। वहीं दो बाघो के पड़ोस जिले में पदमार्क मिलने के बाद वन अमला सतर्क हो गया है। जिले में बाघ के मूवमेंट को लेकर कालरी प्रबंधन भी अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर चिंता में नजर आ रहा है। इस एस ईंसीएल के बंगवार खदान प्रबंधक द्वारा एक एडवाईंजरी जारी की गईं है। जिसमे सेकण्ड व नाईट शिफ्ट में ड्यूटी आने वाले समस्त कर्मचारियो से कहा गया है कि वह रात्रि में अकेले ड्यूटी पर न आए जाए, बल्कि ग्रुप में आवाजाही करें। चुंकि बंगवार माइंस जंगल से लगी हुईं है, इसलिए कालरी प्रबंधन द्वारा बाघ के मूवमेंट को देखते हुए ऐसी एडवाईंजरी जारी की गईं है। 

बुढार से करीब 15 से 20 किलोमीटर दूर ग्राम देवरी के में भालुओं ने आमद दे दी है । बीती रात्रि चहलकदमी करते हुए दो भालू ग्राम देवरी आ पहुँचे । जिसे वहाँ स्थित रिलायंस कंपनी के वेल में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने देखा तो उनके होश उड़ गये ।भालुओ को देख वह चार पहिया गाडी के अंदर जाकर छुप गये । कुछ ही देर में भालू झाड़ियों की ओर चले गये । लेकिन गाँव के आसपास उनकी मौजूदगी की खबर क्षेत्र में आग की तरह फैलने के बाद अब ग्रामवासी काफी डर सहम गये हैं । चूँकि बाघ के हमले में एक ग्रामीण की मौत का मामला अभी आमजन के दिमाग में बसा हुआ है ,इसलिए लोग औरभी ज्यादा भयभीत हैं । उन्हें शंका हो रही कि कहीं रात्रि में भालू उनके घरों तक न पहुँच जाए । भालुओं के अलावा केशवाही वन परिक्षेत्र में बघवा के भी मूवमेंट की जानकारी सामने आई है । पडोसी जिले अनूपपुर के ग्राम खम्हरिया में भी बाघ के पदचिन्ह मिले हैँ।

शहडोल के अंतरा के समीप एक ग्रामीण को मौत के घाट उतारने वाले बाघ की लोकेशन का पता लगाने में अभी वन अमला जुटा ही हुआ था कि आज सुबह बुढार अनूपपुर के बीच खम्हरिया में बाघ के ताजा पदचिन्ह मिलने की जानकारी सामने आई है । वन विभाग के सूत्रों के अनुसार जिले में बाघ का मूवमेंट बना हुआ है ,ठण्ड में अक्सर बाघ एवं भालू अपना स्थान बदलते रहते हैं ,जिसके परिणाम स्वरूप वह नए स्थान पर आ जातें हैं । बाघ करीब एक से डेढ़ माह में ही अपनी टेरेटिरी (रहने का स्थान ) बदल देता है । वह करीब 20 से 40 किलोमीटर के दायरे में अपनी टेरेटिरी बनाता है । 

अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जंगलों को छोडकर यह वन्य जीव रिहायशी क्षेत्र की ओर आखिर क्यों आने लगे हैं । इसे लेकर भी अलग अलग तरह के तर्क सामने आ रहें हैं ,कुछ लोगों का कहना है कि पहले कि अपेक्षा अब वन माफिया जंगलों की कटाई में और अधिक सक्रीय हैं ,वहीँ दूसरी और वहाँ पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता के अभाव में भी कई बार भटकते हुए वन प्राणी रिहायसी क्षेत्रों तक पहुँच जाते हैं । 

देवरी में भालुओं के मूवमेंट को लेकर जब जैतपुर वन परिक्षेत्राधिकारी राहुल सिकरवार से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि उक्त क्षेत्रमें भालुओं का स्थाई मूवमेंट बना रहता है ,फिर भी ग्रामीणों से जागरूक रहने की अपील की गयी है

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