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अमृता अस्पताल में नहीं होता गरीब मरीजों का डायलिसिस ,,आयुष्मान कार्डधारी मरीज को लौटाया गया

 


शहडोल । जहाँ एक ओर केंद्र सरकार गरीब मरीजों के मुफ्त इलाज की गारंटी देकर गरीब तबके के लोगो को आयुष्मान कार्ड जारी कर रखी है वहीं दूसरी ओर शहडोल के नामचीन निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड सिर्फ दिखावा साबित हो रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला शहडोल के दो निजी अस्पतालों में देखने को मिला जहाँ से आयुष्मान कार्डधारी गरीब मरीज को बिना डायलिसिस के ही लौटा दिया। 

अमृता अस्पताल में नहीं हुई डायलिसिस

नौरोजाबाद जिला उमरिया के नायका दफाई वार्ड न. 10 निवासी नईम उल्ला पिता धूरे उम्र 55 वर्ष ने अपनी व्यथा में बताया कि वह किड्‌नी की बीमारी से ग्रसित है। सात-आठ माह से उसकी बीमारी दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। उसका इलाज अहमदाबाद के एक अस्पताल में भी चला लेकिन कोई खास आराम नहीं मिला है। वहाँ के चिकित्सकों द्वारा उसे सलाह दी गई कि उन्हे डायलिसिस करवाना पडेगा। मरीज नईम उल्ला ने बताया कि उमरिया जिला की डायलिसिम मशीन कई दिनों से खराब है। जिस कारण शनिवार को वह डायलिसिस करवाने शहडोल आया। सबसे पहले वह श्री राम अस्पताल गया जहाँ पर यह कहा गया आयुष्मान कार्ड पर उसकी डायलिसिस यहाँ अभी नहीं हो पायेगी उसे कल आना होगा तब देखेंगे । तत्पश्चात वह रीवा रोड पर स्थित अमृता अस्पताल डायलिसिस कराने अपने पुत्र के साथ ऑटो करके गया। जहाँ पर उसने आयुष्मान कार्ड दिखाया और डायलिसिस किये जाने की आरजू मिन्नते किया । अमृता अस्पताल में आयुष्मान कार्ड देखते ही उनका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और उन्होंने साफ शब्दो में कहा कि यहां पर किसी सरकार का कोई कार्ड नहीं चलता है। तीन हजार रुपये हो तो डायलिसिस हो जायेगी नहीं तो चलते बनो। मरीज नईम के पुत्र ने बताया कि अमृता अस्पताल के कर्मचारियों ने यह भी बहाना बनाया कि अभी उनकी सीट खाली नहीं है। किसी और दिन आना तो देखा जायेगा । 

ऊँची दुकान फीका पकवान 

मारीज नईम के पुत्र युसुफ सिद्दीकी ने मुख्य चिकित्सर एवं स्वास्थ्य अधिकारी से की गई शिकायत में आरोप लगाया कि आयुष्मान कार्ड अमृता अस्पताल में दिखाने पर इलाज नही बल्कि दुत्कार मिलती है। उसने बताया कि शहडोल के अमृता अस्पताल का हम लोगो ने बडा नाम सुना था । लेकिन यहाँ पर तो नगद पैसा भुगतान करने पर ही इलाज की सुविधा मिलती है। युसुफ ने शिकायत में बताया कि डायलेजर के 1000 रुपये डायलिसिस के 1300 रूपये कुल तीन हजार रुपये उनसे मांगे जा रहे थे इतनी राशि हमारे पास नही थी। सिवा आयुष्मान कार्ड के। युसूफ का कहना है कि घंटो तक अमृता अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें रोके रखा। तब कहीं जाकर हम जिला चिकित्सालय शहडोल आये।जहा डायलिसिस हो गया।


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अशोक लाल का कहना है कि अगर किसी भी निजी अस्पताल में ऐसा हुआ है तो जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी,शिकायतकर्ता मेरे पास पहुंचा था उसने शिकायत पत्र सोपा है मामले की जांच के लिए टीम गठित की गई है जिसमें आयुष्मान भारत के जिला नोडल अधिकारी डॉक्टर राजेश मिश्रा व अन्य डाक्टर शामिल है जांच रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

अमृता हॉस्पिटल के पीआरओ राहुल सोनी से संपर्क करने का प्रयास किया गया पर उनका फोन नहीं लगा।

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