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तेंदुए की मौत से सवालों के घेरे में वन्यजीवों की सुरक्षा

 


शहडोल। सादिक खान 

शहडोल। रीवा शहडोल मार्ग पर मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर, रोहनिया गांव के पास सड़क दुर्घटना में एक तेंदुए की मौत हो गई। वन विभाग की निपानिया चौकी से महज 500 मीटर की दूरी पर हुई इस घटना के बाद वन्यजीवों की सुरक्षा और निगरानी के मामले में वन विभाग के मैदानी अमले की लापरवाही लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रेत, पत्थर, और लकड़ी की चोरी रोकने या माफियाओं के साथ सेटिंग बनाने में विभाग का मैदानी अमला जिस तत्परता से अपनी कर्तव्य निष्ठा का प्रदर्शन करता रहा है,अगर इसका थोड़ा सा हिस्सा भी वन्य जीवों की सुरक्षा एवं निगरानी के कार्य में लगाता तो शायद तेंदुए की जान नहीं जाती।

नहीं हुई माॅनीटरिंग

प्राप्त जानकारी के अनुसार नंदना गांव में तीन तेंदुए के शावक पिछले साल के मई महीने में मिले थे, जिनका विभाग द्वारा रेस्क्यू किया गया था। जानकार सूत्रों का कहना है कि वन विभाग को जंगल में छोड़े गए शावकों की लगातार निगरानी बनाए रखना था जो नहीं की गई। सड़क हादसे में शावक के मौत की घटना जिस स्थान पर हुई वह बीट गार्ड के मुख्यालय से मात्र एक किलोमीटर की दूरी है जिसकी सूचना बीट गार्ड को नहीं मिल सकी।

अधिकारी रहे अनजान

विभाग से जुड़े सूत्रों एवं वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि वन विभाग यदि नंदना गांव में 10 माह पूर्व मिले तीनों शावकों की लगातार निगरानी और मॉनिटरिंग करता रहता तो शायद आज यह दुर्घटना नहीं घटती। यह आमधारणा है क समय-समय पर मॉनिटरिंग करने के साथ-साथ वन्यप्राणियों के लोकेशन की जानकारी भी ऊपर के अधिकारियों को वन कर्मचारी देते हैं लेकिन शहडोल वन परिक्षेत्र में ऐसा नहीं हुआ जिसकी वजह से तेंदुआ सड़क हादसे का शिकार बन गया।थोड़ी लापरवाही मौके पर मौजूद लोगों के बीच यह चर्चा सरगर्म रही कि वन विभाग की डीएफओ के द्वारा जंगल में वन संपदा तथा रेत, कोयला, वनोपज के अवैध कारोबार पर नकेल कसने की दिशा में जो सक्रियता एवं निर्भीकता दिखाई गई और समाचार पत्रों में सुर्खियां बटोरी गई पर वन्य प्राणियों के संरक्षण और निगरानीन के मामले में वह पीछे ही रह गईं। शायद यही वजह है कि समुचित निगरानी, रिपोर्टिंग और संरक्षण के अभाव में तेंदुए की जान चली गई।

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